Modi Ki sakh ghatane me lage hain apne hi
मोदी
की साख घटाने में लगे हैं अपने ही
निर्भय कर्ण
एक तरफ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख अंतर्राष्ट्रीय
स्तर पर तेजी से बढ़ा है तो देश के अंदर भी आम जनता की उम्मीद उनसे और भी बढ़ गयी
है। गंगा सफाई अभियान की शुरुआत, योजना आयोग की
समाप्ति, न्यायिक आयोग गठन,
प्रधानमंत्री जन-धन योजना, स्वच्छ भारत अभियान, सांसद ग्राम योजना, मेक इन इंडिया जैसे अनेकों कार्य करके लोगों के विश्वास को ही नहीं बल्कि दिल
भी जीता है। लेकिन अपनी ही पार्टी के नेता और मंत्रियों के विवादित बयान से
नरेंद्र मोदी के साख को बट्टा लगने लगा है। चूंकि सरकार को घेरने के लिए
विपक्षियों को कोई मुद्दा हाथ नहीं लग रहा था। लेकिन मोदी सरकार के मंत्रियों
द्वारा विवादित बोल ने विपक्षियों को यह मुद्दा देकर सरकार को ही घेरने के लिए एक
हथियार रूपी शस्त्र थमा दिया है। हालात इस कदर बिगड़ता चला गया कि संसद के दोनों
सदनों में विपक्ष ने अपने तेवड़ कड़े कर लिए। हालांकि केंद्रीय मंत्री निरंजन
ज्योति ने अपने बयान पर खेद भी जताया, इसके बावजूद विपक्ष के न मानने पर राज्यसभा में सदन के नेता अरूण जेटली ने
मोर्चा संभाला तो वहीं वेंकैया नायडू ने मामला को संभाला। इस मामले को लेकर सरकार
की जमकर फजीहत हुयी और मंत्री के साथ-साथ वरिष्ठ मंत्रियों को भी विपक्ष से माफी
मांगनी पड़ी। ज्ञात हो कि 1 दिसंबर,
2014 को दिल्ली में एक सभा के
दौरान निरंजन ज्योति ने यह बयान दिया था कि ‘‘देश में रहने वाले सभी लोग राम की संतान हैं। फिर चाहे वो
मुसलमान हो या फिर ईसाई। जो लोग इस विचारधारा में विश्वास नहीं करते वे भारतीय
नहीं हैं, उन्हें भारत छोड़ देना
चाहिए। यह तो लोगों को सोचना है कि वे राम को मानने वालों को वोट देते हैं या फिर
राम को नहीं माननेवालों को।’’ तभी से सरकार
विपक्षियों के निशाने पर आ गयी थी। इसके बाद आलाकमान और मोदी इस तरह के बयानों से
काफी नाराज हुए और संसदीय दल की बैठक में साफ शब्दों में चेताया कि बिना अनुमति के
वे राष्ट्र के नाम संबोधन न दें। ऐसी बयानबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अभी निरंजन ज्योति का विवादित बयान थमा भी नहीं था कि
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने दिल्ली के आदर्ष नगर में जनसभा के दौरान अरविंद
केजरीवाल को बार-बार रूप बदलने वाला राक्षस मारीच बता दिया। इससे फिर से
विपक्षियों ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। स्पष्ट है कि मोदी सरकार के मंत्री
और नेता अपने ही आलाकमान के नसीहत को भी नजरअंदाज कर रहे हैं। जिससे सरकार की साख
को धक्का पहुंच रहा है। यह विदित है कि दिल्ली में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गयी
है और सभी दल अपने को मजबूत करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। जबकि
झारखंड और जम्मू कश्मीर में हो रहे चुनावों की तपिश को आसानी से समझा जा सकता है। यह अकसर देखा जाता रहा है
कि चुनावों के दौरान विवादित बोल अपने चरम पर होता है। सभी पार्टियां एक-दूसरे को
बुरा-भला कहने से नहीं चूकते। लेकिन इस तरह के बोल से आम जनता पर सकारात्मक नहीं
बल्कि नकारात्मक असर पड़ता है और जनता इसका बदला अपने वोट का सही इस्तेमाल करके
करती है। वैसे भी राजनीति को स्वच्छ और साफ रखने और बनाने की जिम्मेदारी नेताओं पर
ही होता है ऐसे में जनता की अपेक्षा उनसे होती है कि नेता सही व सभ्य शब्दों का
इस्तेमाल कर अपनी बात को जनता तक रखे।
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