Man of Action 'Narendra Modi'
मैन आफ
एक्शन ‘नरेंद्र
मोदी’
निर्भय कर्ण
‘‘मैं उन्हें मैन आफ एक्शन मानता हूं जो बहुत जिंदादिल हैं।’’
यह प्रशंसा किसी और के लिए नहीं बल्कि भारत के
प्रधानमंत्री नरेंद मोदी के लिए है और ऐसी बातें किसी और ने नहीं बल्कि जिस
ने नरेंद्र मोदी को शुरू से ही अमेरिका न आने देने के लिए वीजा देने से बचता रहा, वही अमेरिका आज मोदी की प्रशंसा करते थक नहीं रहा। इसमें कोई विशेष अचरज की बात नहीं है क्योंकि नरेंद्र मोदी की खासियत व कार्य करने की षैली ही कुछ ऐसी है कि दोस्त तो दोस्त दुश्मन तक उनके मुरीद हो चले हैं। सच ही कहा गया है कि यदि आपके अंदर इच्छाशक्ति और अपने आप पर विश्वास हो तो कुछ भी किया जा सकता है और इस बात को नरेंद्र मोदी ने सोलहवीं लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने से लेकर अब तक कर दिखाया है। भारतीय जनता ने उन पर विश्वास कर भारतीय जनता पार्टी को रिकार्ड जीत दिलवाया, ऐसे में भारतीय जनता की ही उम्मीद नहीं बंधी बल्कि अंतर्राष्ट्रीय नजरें भी उन पर आकर टिक गयी थी और मोदी ने भी किसी को निराश नहीं किया और अपने कुशल नेतृत्व में दुनियाभर में भारत का लोहा मनवाया।
ने नरेंद्र मोदी को शुरू से ही अमेरिका न आने देने के लिए वीजा देने से बचता रहा, वही अमेरिका आज मोदी की प्रशंसा करते थक नहीं रहा। इसमें कोई विशेष अचरज की बात नहीं है क्योंकि नरेंद्र मोदी की खासियत व कार्य करने की षैली ही कुछ ऐसी है कि दोस्त तो दोस्त दुश्मन तक उनके मुरीद हो चले हैं। सच ही कहा गया है कि यदि आपके अंदर इच्छाशक्ति और अपने आप पर विश्वास हो तो कुछ भी किया जा सकता है और इस बात को नरेंद्र मोदी ने सोलहवीं लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने से लेकर अब तक कर दिखाया है। भारतीय जनता ने उन पर विश्वास कर भारतीय जनता पार्टी को रिकार्ड जीत दिलवाया, ऐसे में भारतीय जनता की ही उम्मीद नहीं बंधी बल्कि अंतर्राष्ट्रीय नजरें भी उन पर आकर टिक गयी थी और मोदी ने भी किसी को निराश नहीं किया और अपने कुशल नेतृत्व में दुनियाभर में भारत का लोहा मनवाया।
पिछले छह महीनों में ‘‘मैन आफ एक्शन’ नरेंद्र मोदी ने नौ देशों का दौरा किया और इस दौरान 45 अंतर्राष्ट्रीय नेताओं से मिलकर विदेश नीति को नयी
ऊंचाईयां प्रदान की है। आसियान, जी-20, सार्क शिखर जैसे अनेक वार्ताओं में हिस्सा लेकर
अपनी बातों को पुरजोर तरीके से सभी के सामने रखा और सभी ने भारत की बात को गंभीरता
से सुना और अधिकतर ने इस पर सहमति जतायी चाहे वह काले धन का मुद्दा हो या फिर
आतंकवाद का या फिर अन्य। इस दौरान नरेंद्र मोदी ने अब तक जितने भी देशों की यात्रा
की है, वहां की सरकार और जनता का
दिल जरूर जीता है जिससे विदेश नीति नए तरीके से मजबूती की ओर जाता दिख रहा है।
भूटान, नेपाल, जापान की यात्रा ने इस बात को और पुख्ता किया
है कि मोदी सरकार दक्षिण एशिया के पड़ोसी देशों के साथ गर्मजोशी और नजदीकी संबंध
में विश्वास रखती है। जबकि भारत चीन,
अमेरिका, जापान जैसी बड़ी ताकतों के साथ बहुस्तरीय रिश्ते कायम कर विश्व
पटल पर अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहता है।
भारत के साथ रोजी-रोटी का संबंध रखने वाला देश नेपाल की बात
करें तो यहां भी मोदी की धमक को आसानी से महसूस किया जा सकता है। इन बीते छह महीने
में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो बार नेपाल का दौरा कर चुके हैं। प्रथम यात्रा के
दौरान भारत द्वारा नेपाल को एक अरब डालर की पिछली सहायता के अतिरिक्त दस हजार
करोड़ नेपाली रूपए की ऋण राशि स्वीकृत की गयी। इसके अलावा कई तरह के सहायता देने
सहित दोनों देशों के बीच कई समझौते व वार्ता संपन्न हुए। हाल ही में सार्क सम्मेलन
में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे मोदी ने नेपाल को कई सौगातें दी जैसे कि ट्रामा
सेंटर का उद्घाटन, नेपाली सेना को
ध्रुव हेलिकाप्टर की भेंट, भारत-नेपाल
मैत्री बस सेवा की शुरुआत आदि। इस सम्मेलन के दौरान लुंबिनी और जनकपुर भी मोदी को
जाना था लेकिन अंततः ऐसा नहीं हो सका और वहां की यात्रा रद्द करना पड़ा। इससे मोदी
को चाहने वालों ने नेपाल में प्रदर्शन कर अपना-अपना रोष जाहिर किया। ऐसे में मोदी
के पप्रशंसकों की संख्या भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में कितनी है, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
3-4 अगस्त, 2014 को नेपाल की यात्रा में जिस प्रकार नेपाल के नेताओं सहित
जनता का दिल नरेंद्र मोदी ने जीता, वह अपने आप में
चैंकाने वाला रहा। लोग इससे भी ज्यादा आश्चर्य में तब पड़ गए जब भारत का विरोधी माना जाने वाला
व नेपाल में 10 वर्ष तक सशस्त्र
आंदोलन चला चुके पुष्प कमल दहल (प्रचण्ड) ने भारत के प्रधानमंत्री मोदी के संसद
में भाषण को मर्मस्पर्शी बताया और कहा कि जिस तरह भारतीय प्रधानमंत्री ने भरोसा
दिलाया है, उससे निश्चय ही
भारत-नेपाल संबंध प्रगाढ़ होंगे। वहीं नरेंद्र मोदी ने नेपाल के संसद में अपने
संबोधन से सभी को मंत्रमुग्ध करते हुए यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत उसका बड़ा भाई
नहीं है, बल्कि कंधा से कंधा
मिलाकर सभी क्षेत्रों में सहयोग करने के लिए एक सच्चा मित्र है। इस नेपाल यात्रा
से एक ओर तो नेपाली जनता का झुकाव भारत के प्रति अधिक बढ़ा है तो दूसरी ओर से यह
अब तय हो गया है कि जो गतिरोध भारत-नेपाल संबंधों के बीच बीते वर्षों में आ गया था,
वह अब मोदी की यात्रा से दूर करने में मदद
मिलेगी।
वहीं भारत में काले धन पर एसआईटी, गंगा सफाई अभियान की शुरुआत, योजना आयोग की समाप्ति, न्यायिक आयोग का गठन, प्रधानमंत्री जन-धन योजना, स्वच्छ भारत अभियान, मेक इन इंडिया जैसे अनेक कार्यों की शुरुआत करके लोगों के विश्वास
को ही नहीं बल्कि दिल भी मोदी ने जीता है। नरेंद्र मोदी ने शपथ लेते ही कड़ा और स्पष्ट
संदेश दिया कि अफसर सहित मंत्री, सांसद आदि को
जनता के लिए ईमानदारी से काम करना होगा और मेहनत से काम करने के लिए हमेशा तत्पर
रहें। वाकई तब से प्रशासनिक कामों में सुधार भी देखा जा रहा है। भारत में कार्यों को अमलीजामा पहुंचाने और सुचारू रूप से
चलाने के लिए मोदी मंत्री सहित सांसदों की क्लास लेते रहते हैं जो इस बात का सबूत
है कि मोदी देश की तरक्की के लिए किस प्रकार गंभीर है। प्रषासनिक कार्यों में सुधार
लाने के लिए जो पहल मोदी सरकार द्वारा किया जा रहा है, उसकी प्रशंसा केवल भारतीय ही नहीं बल्कि विदेशी भी कर रहे
हैं। इस संदर्भ में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मोदी की प्रशंसा करते हुए
कहा कि ‘‘मोदी ने देश के प्रशासनिक
तंत्र में बदलाव लाकर उसे जिस तरह दुरूस्त किया है, वह वाकई काबिलेतारीफ है। मोदी ने सत्ता संभालने के चंद
महीनों के अंदर ही भारत में प्रशासनिक व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए जो कदम
उठाए हैं उसका असर आने वाले समय में अवश्य दिखाई देगा।’’
इन विदेशी दौरों से न केवल अन्य देशों को फायदा मिल रहा है
बल्कि भारत को भी फायदा हुआ है। संसद में इस बात की जानकारी देते हुए विदेश मंत्री
सुषमा स्वराज ने बताया कि देश के विकास को तीव्र गति देने के उद्देश्य से अगले
पांच वर्षों में देश में 77 अरब डालर से
अधिक के निवेश का मार्ग प्रशस्त किया है। मोदी ने इन बीते महीनों में विभिन्न विदेशी
यात्राओं के दौरान एक वैश्विक नेता की पहचान हासिल की है। लोकप्रियता के मामले में
नरेंद्र मोदी विदेशों में सभी को पीछे छोड़ चुके हैं। सारी दुनिया उनकी बातों को
सुनने और समझने के लिए लालायित दिखी क्योंकि अविकसित तो अविकसित, विकसित देश को मोदी से ढ़ेर सारी उम्मीदें है।
उनकी मंशा है कि हमारे साथ भारत के संबंध अच्छे हो जिससे उनके देश का भी विकास हो
सके और एक उन्हें उड़ान मिल सके। इसका नतीजा भी जल्द ही देखने को मिलेगा जबकि इसका
फायदा आंशिक तौर पर ही सही लेकिन शुरुआत हो गयी है। लेकिन सबसे सुकून और खुशी की
बात भारत के लिए यह है कि नरेंद्र मोदी ने भारत को विश्व मंच पर खड़ा कर दिया है
जहां सब उसकी ओर टकटकी लगाए बैठा है।
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