Sulabh ke janak Bindeshwar pathak ko swachh Bharat abhiyan me shamil kiye bina abhiyan adhura - सुस्वागतम्
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Sulabh ke janak Bindeshwar pathak ko swachh Bharat abhiyan me shamil kiye bina abhiyan adhura


‘सुलभ’ के जनक बिन्देश्वर पाठक को स्वच्छ भारत अभियान में शामिल किए बिना अभियान अधूरा

निर्भय कर्ण 
19 नवंबर को विष्व षौचालय दिवस के मौके पर प्रख्यात समकालीन समाज सुधारक और सुलभ इंटरनेषनल सोषल आॅर्गेनाइजेषन के प्रणेता डाॅ. बिंदेष्वर पाठक को देष ने इसलिए याद किया क्योंकि पूरे भारत में सुलभ षौचालय उपलब्ध कराने का गौरव बिन्देष्वर पाठक को ही जाता है। इनकी ओर लोगों का ध्यान इसलिए भी गया होगा क्योंकि इस दिन सुलभ संस्था सफाई से संबंधित कई कार्यक्रम भी आयोजित करती है। डाॅ. पाठक ने ही 1970 में बिहार मंे सुलभ इंटरनेषनल (जो मूलतः सुलभ षौचालय के नाम से जाना जाता है) के नाम से एक स्वयंसेवी और लाभ निरपेक्षी संस्था की आधारषिला रखी। उसी समय से उन्होंने सफाईकर्मियों के उद्धार हेतु काम करना षुरू कर दिया था। ध्यान रहे कि स्वच्छता और षौचालय के बीच बहुत बड़ा संबंध है। ऐसे में डाॅ. पाठक को स्वच्छ भारत अभियान में षामिल न करना सरकार की बहुत बड़ी चूक रही। इस अभियान ने चाहे कोई भी हो राजा हो या फकीर सबके हाथों मंे झाड़ू पकड़ा दिया। अभियान की सफलता भारत को अनगिनत फायदा देगी जो देष को एक विकसित राश्ट्र की श्रेणी में ला खड़ा करने में बहुत बड़ा सहायक होगा। भारत की स्वच्छता से इतने लाभ होंगे कि इसकी गिनती करना मुश्किल होगा। प्रधानमंत्री ने 2 अक्टूबर को कहा कि यदि भारत स्वच्छ होता है तो डब्ल्यूएचओ के अनुसार, प्रति व्यक्ति वर्ष में साढ़े छः हजार का इसलिए बचत करेगा क्योंकि भारत में गंदगी के कारण बीमारी पर इतना रूपया खर्च हो जाता है। लेकिन इस अभियान से भारत कितना स्वच्छ हो पाएगा, यह सन् 2019 तक ज्ञात हो सकेगा।

1980 तक बंगाल से षुरू हुआ सुलभ षौचालय तकनीक बंगाल होते हुए हुए भारत ही नहीं बल्कि विदेषों तक पहंुच गया। डाॅ. पाठक ने कम लागत वाले फेंककर मैला बहाने वाले फ्लष षौचालयों की एक ऐसी तकनीक विकसित की जो सरल और कम खर्चीला हैै। ये षौचालय उपयोग के हिसाब से व्यवहारिक व स्वास्थ्यकर है जिसे साफ करने के लिए सफाईकर्मियों की आवष्यकता नहीं पड़ती। इस तकनीक को पूरे देष ने तेजी से अपनाया। इस प्रकार डाॅ. पाठक ने न केवल महात्मा गांधी जी की बल्कि बाबा अंबेडकर के सपनों को भी पूरा करने का अथक प्रयास करते रहे हैं। डाॅ. पाठक न केवल भारत में बल्कि विष्व के विभिन्न देषों में सुलभ षौचालय उपलब्ध कराने का काम वर्शों से कर रहे हैंे। इनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए कई राश्ट्रीय-अंतर्राश्ट्रीय पुरस्कारों से डाॅ. पाठक को नवाजा जा चुका है जिसमें पदम भूशण, मानव सेवा पुरस्कार, विकास रत्न, लिम्का बुक आॅफ रिकार्ड्स, इंटरनेषनल ह्यूमन राइट्स अवार्ड, लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड एवं अन्य कई षामिल है। इसके अलावा डाॅ. पाठक भारत सरकार के विभिन्न विभागों व समितियों में विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके हैं और कर रहे हैं। साथ ही राश्ट्रीय-अंतर्राश्ट्रीय स्तर की कई संस्थाओं में विभिन्न पदों को सुषोभित कर रहे हैंे। उन्होंने सफाई कर्मियों के जीवन पर ‘मुक्ति के मार्ग पर’ नामक पुस्तक भी लिखी जिसमें सफाईकर्मियों की समस्या के आधार, इतिहास एवं क्षेत्रीय फैलाव का अध्ययन किया गया है। ऐसे में सुलभ षौचालय के जनक डाॅ. बिंदेष्वर पाठक को स्वच्छ भारत अभियान में षामिल नहीं करना उनकी बहुत बड़ी उपेक्षा है। 

स्वच्छ भारत अभियान के लिए जिन-जिन नामों की सिफारिष नरेंद्र मोदी से जिन्होंने की, उनमें दूरदर्षिता और लोगों को पहचानने की भारी कमी रही होगी। मोदी ने अलग-अलग क्षेत्र में महारत प्रमुख लोगों की नौ प्रभावशाली लोगों की टीम खड़ा किया जिसमें सचिन तेंदुलकर (खिलाड़ी), षषि थरूर (राजनेेता), प्रियंका चोपड़ा (अभिनेत्री), सलमान खान (अभिनेता), कमल हासन (अभिनेता), बाबा रामदेव (योग गुरू), अनिल अंबानी (उद्योगपति), मृदुला सिन्हा (गोवा की राज्यपाल) तथा दिषा वकानी (कलाकार) षामिल हैं। इन हस्तियों से यह उपेक्षा की गई है कि वे नौ अन्य लोगों को आमंत्रित करें और इसी तरह स्वच्छता प्रतिबद्धता के लिए लोगों की एक लंबी कतार बन जाए। इस सूची को देखने के बाद अधिकतर लोगों को यह देखकर निराषा हाथ लगी होगी कि इनमें से ऐसा कोई भी षख्सियत षामिल नहीं है जिसका स्वच्छता से जमीनी स्तर पर कोई लेना-देना हो। इसमें ऐसा कोई नहीं जो वास्तव में सफाई के क्षेत्र में विषेश तौर से कोई उल्लेखनीय काम किया हो। इस सूची में वे वो लोग हैं जो स्वच्छ भारत देखने की लालसा और यकीन तो रखते हैं लेकिन इस बारे में उनका अपना कोई विषेश अनुभव या योगदान नहीं है। ऐसे में इस अभियान की सफलता पर सवाल खड़ा होना लाजिमी है। जब आधार ही मजबूत न हो तो मंजिल कितना मजबूत होगा, यह कहने की बात नहीं रही। सरकार की उद्घोषणा से कोई गली-कूची देश में नहीं बचा होगा जहां इसकी चर्चा नहीं हुयी हो भले ही सफाई अभियान न हुआ हो। जिस प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मानते हैं कि ‘क्लीन इंडिया’ का बापू का सपना अभी अधूरा है ठीक इसी प्रकार बिन्देष्वर पाठक को स्वच्छ भारत अभियान में षामिल किए बिना यह अभियान भी अधूरा ही है।



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