Mulayam ka samjwadi banam mulayamwadi chehra - सुस्वागतम्
Buy Pixy Template blogger

Mulayam ka samjwadi banam mulayamwadi chehra

मुलायम का समाजवादी बनाम मुलायमवादी चेहरा
निर्भय कर्ण
21 नवंबर को यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन समारोह ने मुलायम के समाजवादी बनाम मुलायमवादी चेहरा को फिर से उजागर कर दिया है। जिस प्रकार इस समारोह में बेहिसाब पैसे खर्च किया गया उससे लोहिया की समाजवादी विचारधारा को जोरदार झटका लगा है। जहां जनता का पैसा जनता के हितों के लिए प्रयोग होना चाहिए वहीं वह धन एक व्यक्ति के जन्मदिन के समारोह जैसे कार्यक्रम पर खर्च कर सरकारी खजाने को खाली करने पर जोर दिए जाने की परंपरा न केवल गलत है बल्कि जनता का अपमान भी। इस सबका परवाह किए बिना मुलायम सिंह यादव ने अपना 75वां जन्मदिन 75 किलो का केट काटकर मनाया। इनके सम्मान में पूरे रामपूर को दुल्हन की तरह सजाया गया था। इनका षाही काफिला अंबेडकर पार्क से षुरू हुआ जिसमें विक्टोरियन बग्घी पर सवार होकर नेताजी गांधी समाधि पहुंचे। इस दौरान जगह-जगह पर फूलों की बरसात होती रही। 
हालांकि जन्मदिन पर खर्च के बारे में पत्रकारों द्वारा सवाल पूछे जाने पर तिलमिलाए सपा के प्रमुख नेताओं में से एक आजम खां ने कबूल किया कि ‘‘सरकारी पैसों का दुरूपयोग नहीं हुआ है। मुलायम का जन्मदिन मनाने के लिए तालिबान से फंड मिला है। दाऊद इब्राहिम और अबु सलेम ने भी पैसे दिए हैं।’’ इस बयान से आजम खां विरोधी के निषाने पर आ गए हैं। लेकिन सरकारी पैसों का दुरूपयोग इस कार्यक्रम पर न हुआ हो, हजम होने वाली बात ही नहीं है। बाद में विक्टोरियन बग्घी पर से पर्दा उठाते हुए आजम खां ने कहा कि ‘‘जन्मदिन पर इस्तेमाल हुआ बग्घी लंदन से ही आयी है और 70 लाख में खरीदी गई है।’’ ऐसे में अपने को समाजवादी बताने वाली पार्टी द्वारा इस प्रकार धन का दुरूपयोग करना उसके समाजवादी होने पर प्रष्नचिह्न खड़ा करती है।
धन आखिर जहां से भी आया हो या सरकारी खजाना पर इसका बोझ पड़ा हो लेकिन यह एक बार फिर साफ हो गया कि राम मनोहर लोहिया की समाजवादी विचारधारा का झंडा लिए चल रहे मुलायम सिंह यादव का मुलायमवादी चेहरा समाजवादी चेहरा के आगे षून्य महत्व रखता है। मुलायम सिंह यादव एवं उनके समर्थकों को समाजवादी विचारधाराओं में अब कोई खास दिलचस्पी नहीं रही। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव की पार्टी अब समाजवादी की जगह मुलायमवादी पार्टी बन कर रह गयी है क्योंकि सभी जानते हैं कि यूपी में षुरुआत भी मुलायम से ही होती है और अंत भी।
ज्ञात हो कि डाॅ. लोहिया ने ही विधिवत रूप से समाजवादी आंदोलन की भावी रूपरेखा पेष की थी। लोहिया ऐसी समाजवादी व्यवस्था चाहते थे जिसमें सभी की बराबर की हिस्सेदारी रहे। उनका मानना था कि सार्वजनिक धन सहित किसी भी प्रकार की संपत्ति प्रत्येक नागरिक के लिए होनी चाहिए। लेकिन आज डाॅ. लोहिया की विचारधाराओं को माननेवाले व इसी सोच की नींव पर खड़ी समाजवादी पार्टी खुलकर समाजवादी सोच का मखौल उड़ाने से भी परहेज नहीं कर पा रही है। 

Previous article
Next article

Leave Comments

Post a Comment

Articles Ads

Articles Ads 1

Articles Ads 2

Advertisement Ads