Kharab Hui Chhavi ko Sudharne me Jute ARVIND Kejariwal - सुस्वागतम्
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Kharab Hui Chhavi ko Sudharne me Jute ARVIND Kejariwal


   खराब हुई छवि को सुधारने में जुटे केजरीवाल

निर्भय कर्ण

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे ने देश की जनता को चैंकने पर विवश कर दिया था और रास्ता साफ हो गया कि जनता ने जिस उम्मीद पर केजरीवाल को मुख्यमंत्री का ताज पहनाया, वे उम्मीदें जल्द ही पूरी हो जाएंगी और केजरीवाल ने भी इन उम्मीदों को पूरा करने के लिए कार्य करना शुरू  कर दिया। बिजली-पानी को लेकर नई घोषणाएं कर दी जिसका कुछ लाभ तो जनता को मिलने लगा लेकिन यह जमीनी स्तर पर पूरा नहीं हो पाया है और जाने कब पूरा होगा। सरकारी दफ्तरों में फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए अरविंद केजरीवाल की नई व्यवस्था ने जनता को भरोसा दिलाया कि शायद अब भ्रष्टाचार दिल्ली से समाप्त हो जाए। ऐसा लगने लगा कि अरविंद केजरीवाल एंड कंपनी जनता पर और विश्वास जमाने में सफल होने लगी है लेकिन इसी बीच पहले तो कानून मंत्री सोमनाथ भारती द्वारा युगांडा की लड़कियों के घर पर छापा फिर केजरीवाल का रेल भवन पर धरना ने सरकार के ऊपर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए। ऐसे में यह सवाल लोगों में घर करने लगा कि अरविंद केजरीवाल को कहीं घमंड तो नहीं हो गया है और शायद अब केजरीवाल पहले वाले केजरीवाल नहीं रह गए हैं। ऐसी घटनाओं ने केजरीवाल के प्रति दिल्ली की जनता के विश्वास को कमजोर किया है। लोगों ने यह भी कहना शुरू कर दिया कि केजरीवाल और कांग्रेस के बीच पहले से ही तालमेल था और है जिसका मुख्य उद्देश्य है विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक भाजपा को सत्ता में आने से रोकना।
 
चूंकि दिल्ली में केजरीवाल ने भाजपा को तत्काल सत्ता में आने से तो रोक दिया लेकिन केजरीवाल के लिए आगे की राह बहुत मुश्किल है। दिल्ली सरकार का एक महीने का कार्यकाल संतोषजनक नहीं रहा। सत्ता में आने पर 15 दिन के अंदर जनलोकपाल को लाने जैसे कई मुद्दों पर सरकार घिरने लगी। सोमनाथ भारती का मामला एवं पुलिस एवं सरकार के बीच की तकरार ने केजरीवाल की छवि को नुकसान पहुंचाया। अभी सरकार संभलने ही लगी थी कि उनके ही विधायकों ने एक-एक कर बगावती तेवर दिखाना शुरू कर दिया जिसमें विनोद कुमार बिन्नी प्रमुख है। सरकार की खस्ता हालत होते देख केजरीवाल ने जन लोकपाल बिल को कैबिनेट से पास तो करा लिया, लेकिन यह हथियार सफल हो पाता कि इसी बीच सरकार को सहयोग दे रही कांग्रेस ने दो टूक शब्दों में कह डाला कि जन लोकपाल के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार का साथ नहीं देगी। अब देखना है कि जनता से किए गए जन लोकपाल बिल का वायदा सरकार कैसे पूरा करती है।
देखा जाए तो दिल्ली सरकार का किसी विभाग से संबंध मधुर नहीं है। बिजली को लेकर सरकार और बिजली विभाग में युद्ध ठना हुआ है। गेस्ट टीचर सहित कई सारे विभाग अरविंद केजरीवाल के द्वारा वायदा पूरा नहीं किए जाने से खफा हैं। पुलिस से दिल्ली सरकार का संबंध छत्तीस के आंकड़े जैसा है। सरकारी कर्मचारियों में अधिकतर लोग सरकार से खफा हैं इसके अलावा कई सारे मुद्दे हैं जिससे सरकार पर लोगों का विश्वास कमजोर हुआ है।

 जैसे-जैसे दिन बीत रहा है वैसे-वैसे ही लोकसभा चुनाव के दिन भी नजदीक आते जा रहे हैं। ऐसे में सभी पार्टियां देशभर में अपना वोट मजबूत करने और वोट आधार बनाने के लिए कई तरह की लोकलुभावन घोषणाएं और सुविधाएं देने में जुट गई है। ऐसे कई चीज ऐसे हैं जो जनता को तो तत्काल लाभ दे रही है लेकिन देश की आर्थिक स्थिति कमजोर हो रही है। इन तात्कालिक सुविधाओं का व्यापक असर लोकसभा चुनाव के बाद होने वाला है जो जनता के लिए बहुत ही पीड़ादायक होगी और सत्ता में आने वाली पार्टी के लिए वर्तमान हालत को बरकरार रखना बहुत बड़ी चुनौती होगी।
 
केजरीवाल की नजर अब अप्रैल-मई में होने वाली लोकसभा चुनाव पर टिक गई है और इसकी तैयारी के लिएआपपार्टी  अपने सदस्यों की संख्या में तेजी से बढ़ाने के अभियान में जुटी है। दूसरी ओर भ्रष्टाचार अपराध के नाम पर विभिन्न दलों के नेताओं की सूची भ्रष्ट व्यक्ति के नाम पर केजरीवाल एंड कंपनी ने जारी करना शुरू कर दिया है जिसमें सोनिया गांधी-नरेंद्र मोदी का नाम भी शामिल है। इसी सूची के आधार परआपअपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी। इस सूची ने भारत में राजनीतिक बवाल मचा दिया है। बिना सबूत के भ्रष्ट नेताओं की सूची जारी करने से आप एवं बीजेपी में तकरार काफी बढ़ गई है। धरना-प्रदर्शन लगातार होते ही जा रहे हैं। अरविंद केजरीवाल पर भी आरोपों की झड़ी लग गई है। अभी तो राजनीतिक शतरंज में कई आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हुआ है और धीरे-धीरे इसमें और भी तेजी आने वाली है। इस बदलती परिस्थिति में अरविंद केजरीवाल अपनी खराब हुई छवि को किस प्रकार सुधारने में सफल हो पाते हैं, यह देखना काफी दिलचस्प होगा। लेकिन जनाब, जनता सब जानती है कि अंदर क्या है-बाहर क्या है। बस देखते जाइए लोकसभा तक राजनीति किस करवट लेती है और कौन सी पार्टी सत्ता का स्वाद चख पाती है?http://www.badhatekadam.com/entries/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B6/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%93%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%8F-%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%95-%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B7-%E2%80%982014%E2%80%99
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