Shivsena ka sarkar me shamil hone ke mansube par fira pani - सुस्वागतम्
Buy Pixy Template blogger

Shivsena ka sarkar me shamil hone ke mansube par fira pani

शिवसेना का सरकार में शामिल होने के मंसूबे पर फिरा पानी

निर्भय कर्ण

12 नवंबर को भाजपा ने महाराष्ट्र में विश्वासमत तो हासिल कर लिया लेकिन सरकार पर आरोप भी पहले दिन से ही लगना शुरू हो गया। जो कुछ सदन के अंदर और बाहर हुआ, अप्रत्याशित थी। यह तो सभी को विश्वास था कि किसी भी तरह भाजपा सदन में विश्वासमत हासिल कर लेगी क्यूंकि यदि शिवसेना समर्थन नहीं भी देती तो भी एनसीपी उसे बिना शर्त के समर्थन देने को पहले से ही तैयार बैठी थी। लेकिन आश्चर्यजनक तब रहा जब शिवसेना और कांग्रेस ने ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित हो जाने के बाद मत विभाजन की मांग किया जबकि कानून कहता है कि मत विभाजन की मांग उस समय की जानी चाहिए थी जब विधानसभा अध्यक्ष सदस्यों से प्रस्ताव पर ‘ना’ कहने के लिए कहते हैं। दूसरी घटना तब घटी जब अभिभाषण के लिए राज्यपाल विद्यासागर विधानभवन पहुंचे ही थे कि बाहर में शिवसेना और कांग्रेस के सदस्यों ने घेराव किया। इस दौरान राज्यपाल से धक्कामुक्की के दौरान राज्यपाल और उनके सुरक्षाकर्मियों को चोटें आई। परिणामस्वरूप, कांग्रेस के पांच विधायकों को दो साल के लिए निलंबित कर दिया गया।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आते ही इस बात की चर्चा जोर पकड़ने लगी थी कि देर-सवेर बीजेपी शिवसेना के साथ गठबंधन कर महाराष्ट्र को स्थायी सरकार देगी। परिणाम से लेकर 12 नवंबर तक कई स्तर पर बातों का दौर चलता रहा लेकिन नतीजा कुछ खास निकलकर नहीं आया। इस बीच राजनीति में उथल-पुथल और बयानों का दौर चलता रहा। इस दौरान दोनों दल बीजेपी और शिवसेना एक-दूसरे पर तीखी कटाक्ष करने से बचती रही ताकि गठबंधन की गुंजाइश बनी रहे। अंततः गठबंधन को निराशा ही हाथ लगी। इसके बाद राज्य में हालात तेजी से बदले। जहां बीजेपी एनसीपी के सहयोग से विश्वासमत हासिल कर अपनी सरकार को कम से कम छः महीने के लिए सुरक्षित कर लिया तो दूसरी ओर शिवसेना का सरकार में षामिल होने का मंसूबा पर फिलहाल पानी फिर गया है। फडणवीश सरकार को अब कुल 162 विधायकों का समर्थन हासिल हो चुका है।

एक तरह से शिवसेना अब अलग-थलग पड़ती जा रही है। ऐसे में यह संभव हो चला है कि शिवसेना कभी भी केंद्र में गठबंधन तोड़ने की घोषणा कर सकती है। इससे संसद में एनडीए कमजोर होगा जिसके कारण किसी भी विधेयक को आसानी से पास कराने में सरकार को मुश्किल होगी। आंकड़ों के परिप्रेक्ष्य में देखें तो वत्र्तमान में दोनों सदनों की संयुक्त संख्या 790 है और एनडीए के पास 395 सांसद है। केंद्र में शिवसेना से गठबंधन टूटने पर एनडीए की संख्या 374 रह जाएगी। यदि एनसीपी के 12 सांसद भी साथ आ जाएं तो भी एनडीए अल्पमत में ही होगी।

भाजपा-शिवसेना के बीच गठबंधन टूटने का असली वजह शिवसेना का अडि़यल रवैया रहा जिसमें शिवसेना ने महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री और अन्य महत्वपूर्ण मंत्री पद की मांग की थी। इस तरह की शर्त भाजपा को किसी भी हालत में मंजूर नहीं था। परिणामस्वरूप, दोनों के रिश्तों में खटास आने लगी और शिवसेना महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने से वंचित रह गयी। दूसरी ओर, एनसीपी का बीजेपी को बिना शर्त का ऐलान भाजपा को अंदर ही अंदर ऊर्जा दे रही थी, जो अंततः भाजपा को महाराष्ट्र में सरकार बना गयी। अब सवाल उठता है कि क्या भाजपा अघोषित सहयोगी एनीसीपी को एनडीए में शामिल करने की घोषणा करेगी? यदि ऐसा होता है तो महाराष्ट्र सहित पूरे देश में घात लगाए बैठी विरोधियों को भाजपा पर खुलकर हमला करने का एक महत्वपूर्ण अवसर मिल जाएगा। क्योंकि सभी जानते हैं कि महाराष्ट्र में भाजपा ने कांग्रेस-एनसीपी के भ्रष्ट शासन के नाम पर चुनाव लड़ा था। ऐसे में एनीसीपी के साथ गठबंधन भाजपा के लिए नई मुसीबत लेकर आने वाली है।
Previous article
Next article

Leave Comments

Post a Comment

Articles Ads

Articles Ads 1

Articles Ads 2

Advertisement Ads