DRIVING LICENCE AUR BADHTE VAHAN - सुस्वागतम्
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DRIVING LICENCE AUR BADHTE VAHAN


    ड्राइविंग लाइसेंस और बढ़ते  वाहन 
राजधानी में सड़क पर बढ़ रही दुर्घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि दिल्ली में कहीं ना कहीं ड्राइविंग लाइसेंस सही लोगों के हाथों में नहीं जाकर अधकच्चे ड्राइवर या यूं कहें कि नौसिखिया के हाथो में जा रहा जो पूर्ण रूप से ड्राइविंग लाइसेंस पाने के योग्य नहीं। ऐसे लोगों तक लाइसेंस के पहुँचने के पीछे दलालों का हाथ होता है। क्यूंकि दलालों की सांठ-गांठ इतनी जबरदस्त होता है कि बिना ड्राइविंग टेस्ट दिए ही लोगों को लाइसेंस प्राप्त हो जाता है। जिसमें दोपहिया वाहनों के लाइसेंसधारक सबसे ज्यादा हैं।
राजधानी की सड़कों पर हर दसवां वाहन चालक लाल बत्ती नियम को तोड़ता है। दिल्ली में वाहनों की संख्या और लाल बत्ती नियम तोड़ने को लेकर ट्रैफिक पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई का अनुपात यही बयां करता है। सालाना हिसाब से वाहनों की संख्या में तो करीब दस फीसदी  की वृद्धि होती है लेकिन वाहन चालकों द्वारा लाल बत्ती तोड़ने में बढ़ोतरी का यह प्रतिशत करीब तीन गुना ज्यादा हैं। आंकड़े के मुताबिक 2011 में दिल्ली में कुल वाहनों की संख्या 69 ,32 ,706 है जिसमें दोपहिया वाहनों की संख्या 43 ,42 ,403  है। वहीं 2010 में कुल वाहनों की संख्या 4,51,883 था। यानि कुल मिला के अब तक वाहन बढ़ोतरी 6.9 फीसदी हो चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में करीब पांच लाख वाहनों का पंजीकरण हुआ है।
लगातार राजधानी में वाहनों में बढ़ोतरी हुई है। इस समय दिल्ली में कारों व जीपों की संख्या 21,73,323  जबकि 2009-10 में इसकी संख्या 20,13,680 थी। व मोटर साइकिल व स्कूटरों की संख्या 43,42,403 है जबकि 2009-10 में इसकी संख्या मात्र 40,55,229 थी। और दिल्ली की कुल जनसंख्या की बात करें तो सेन्सस 2011 के अनुसार जनसंख्या 16,753,235 है। 
आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि सबसे ज्यादा दोपहिया वाहनों में बेतहाशा वृद्धि हुई है जबकि राजधानी में दोपहिया वाहनों से ही सबसे ज्यादा हादसा होता है।
जब गाडि़यों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है तो दलालों को भी पैसा कमाने के लिए खुब मौका मिलता है। ऐसे में स्वाभाविक है कि ड्राइविंग लाइसेंस में भी बढ़ोतरी होगी और यह यदि दलालों और घूस के दम पर बनती रहे तो यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं होगी कि सड़कों पर वाहनों से घायल होने वाले लोगों की संख्या में भी बेतहाशा वृद्धि होगी। नियम को सख्त बनाने भर से ही इस पर लगाम नहीं लगने वाला बल्कि इस पर सख्ती से लागू करने के बाद ही बेहतर परिणाम निकलते हैं जो कि तत्काल मुश्किल नजर आ रहा है।
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